प्रेम का विशाल आयाम ।
प्रेम ना केवल – कहने में है, ना सुनने में , प्रेम ना केवल आलिंगन में है,ना शब्दों के माया जाल में, प्रेम ना केवल सपनों के संसार में है, ना समाजिक मान्यताओं रीतियों में , प्रेम ना तो जन्म-मृत्यु तक सीमित है । प्रेम तो तन और मन से परे आत्मा में है …