Manthan

मंथन

Spread the love

संभवतः ‘ मन का मनन’ इस प्रकृति में अन्य जीवों से मनुष्य को अलग करता है l मन के मनन से ही भाषा का प्रादुर्भाव है और भाषा मानवता की जरूरत है l मन से ही आनंद, पीड़ा ,भय , कुंठा ,क्रोध ,आशा, निराशा, प्रेम, दया, मोह आदि अनुभूतियों का ज्ञान होता है l इन अनुभूतियों से चेतना, संवेदना ,अनुभव से जीवन का निर्माण होता है l इसके विपरीत जीव विज्ञान मस्तिष्क की जिज्ञासा से उचित अनुचित और लक्ष्य का बोध कराता है l यहीं से जीवन में सृजन का आरंभ होता है l जो सीखने और सिखाने की कला को जन्म देकर शिक्षा एवं शिक्षा के विकास की ओर ध्यान आकर्षित करता है l शिक्षा की इच्छा शक्ति एवं शिक्षा का विकास मानवता के विकास के साथ-साथ परिवर्तित होता रहा हैl          .

पत्थर ,आग ,पहिया, भाषा, कृषि, उद्योग और सूचना संसाधनों के बदलाव का रथ आज एक नई क्रांति की ओर अग्रसर हैl जो जेनेटिक इंजीनियरिंग, नैनोटेक्नोलॉजी ,एंटी एजिंग और बायोमेडिकल साइंस के माध्यम से कृत्रिम बुद्धि , कृत्रिम जीवन और कृत्रिम व्यवहार के प्रयोग कर रहा है l यह सब संभव हो रहा है मन के मनन से या मनोविज्ञान के द्वारा l जिसने सर्वप्रथम यह प्रश्न उठाया मानव तुम क्या हो ?मानव तुम क्यों हो ?मानव तुम क्या चाहते हो? मानव तुम्हारा जीवन  क्या है? मानव तुम्हारा लक्ष्य क्या है ? मानव तुम्हारी चुनौतियां क्या है ?मानव तुम्हारी शक्ति क्या है ?मानव तुम्हारी कमजोरी क्या है ?मानव तुम्हारी सफलता क्या है ?ऐसे अनेकों अनेक सवाल मानव की मानवता के इतिहास पटल पर देखे जा सकते हैंl

इन सवालों के जवाब समय-समय पर विद्वानों ने अपने मन की जिज्ञासा की तीव्रता के आधार से नियम बनाकर प्रतिपादित किए हैं l यह प्रक्रिया निरंतर चल रही है l परंतु बदलते बदलाव के साथ आज की इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एवं संचार व्यवस्था एक नई संस्कृति का जन्म है l यह डिजाइनर जिंदगी की परिकल्पना है जो धीरे-धीरे स्मार्ट मशीनों , रोबोटिक श्रम शक्ति और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से पूरी होती नजर आ रही हैl   नए-नए नैनो उपकरणों से विचारों की दुनिया आज गतिमान हो रही हैl  सुपर कंप्यूटर आज सुपर ह्यूमन के निर्माण की योजना बना रहे हैं l जो पलक झपकते ही सब कुछ चित्रित करने की क्षमता से युक्त होते जा रहे हैं l सुपर जींस डीएनए के साथ-साथ हाथ,पैर ,नाक, आंख ,मुंह में लगे चिप्स ज्ञान के अपार भंडार के साथ सुपर ह्यूमन की परिकल्पना को सजीव करने की ओर अग्रसर हैl

तदlनुसार मोटे तौर पर भविष्य का मानव  भावना विहीन होगा और जीवन जीने के तरीके मानवीय आचार विचार, व्यवहार सामाजिकता कर्तव्य परायणता और संस्कृति आदि सबकुछ परिवर्तित  हो जाएंगे l क्योंकि घर का काम, सर्जरी, रसोई का काम ,सामाजिक बातचीत ,ऑफिस का काम , ट्रेन को चलाना ,जहाज उड़ाना ,कार चलाना ,दुकान के काउंटर की व्यवस्था रोबोट करेंगे l कहने का तात्पर्य है कि आने वाला समय रोबोट्स में डाली गई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है जो भविष्य में भावनाओं को समझने की दक्षता रखता है lभविष्य में घर बाहर और ऑफिस सब कुछ सॉफ्टवेयर से संचालित होगा या होना है l       वर्तमान में इस दुनिया में 400 सुपर कंप्यूटर कार्यरत हैं जिसमें से 250 केवल अमेरिका में हैं l तथा शेष जर्मनी, चीन ,जापान आदि देशों में काम कर रहे हैं lहां ,भारत में अभी कोई सुपर कंप्यूटर का आगाज नहीं है l रोबोट की दुनिया मनुष्य की इंटेलिजेंस से शायद बहुत आगे चल  चुकी हैl  जिसने इस दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है –

1 – साइबर वर्ल्ड

2 – नॉन साइबर वर्ल्ड

वैसे ही दुनिया एक है ही कहां …विकसित एवं अविकसित अथवा गरीब एवं अमीर  ..

एक ओर कृत्रिम अंग में लगे मोटर चिप्स सेंसर शरीर की  संवेदी नसों से जुड़कर दिमाग की मदद से हाथ पैर की अंगुलियों     एवं अन्य अंगों को नियंत्रित भी कर रहे हैं  l दूसरी ओर स्टेम सेल  थेरेपी उम्र बढ़ाने की क्षमता के विकास की संभावनाओं को ग्रहण किया है l  आज मनुष्य के दिमाग में ही कंप्यूटर ट्रांसप्लांट कराया जा रहा है और दिमाग के प्रारूप को कंप्यूटर में इनपुट कर सोचने की क्षमता प्रदान की जा चुकी है l साथ ही सूचना का  युग है जिसकी अपनी जटिलताएं हैंl और ट्रांसफॉरमेशन की स्थिति भी  कम विस्फोटक नहीं है  क्योंकि जहां तहां इंफॉर्मेशन  बिखरी पड़ी है l इंटरनेट पर स्कूल में बच्चों को टीचर जी ने प्रोजेक्ट बनाने को दिया l बच्चों ने इंटरनेट पर सर्च किया और कॉपी पेस्ट कर प्रोजेक्ट तैयार हो गया l मोटे तौर से सोचने की प्रक्रिया को इंफॉर्मेशन विस्फोट ने रिप्लेस कर दिया है l मूल विचार हर स्तर पर जीरो हो रहे हैं l एक रोमांचक  युग का सूत्रपात है जिसके अंतर्गत सोशल इवोल्यूशन अवश्य   संभावी है और झुकते मानव की मानवता को आगाज दे रहा हैl

ऐसे में शिक्षा के विकास एवं भविष्य को जानने के लिए एक विषय का जन्म होना निश्चित है l जो मन के विज्ञान या मनोविज्ञान के स्थान पर यांत्रिक मन का विज्ञान अथवा यांत्रिक मनोविज्ञान को जन्म देगा जिसमें आत्मा या इच्छाशक्ति का कोई   स्थान ना होगा और मानव की भावात्मकता  या मानवता का कोई सवाल ही नहीं  होगा l होगा तो बस 21वीं सदी के अंत तक टाइम मशीन के  गॉड पार्टिकल के इनविजिबल मैन और उनकी स्टडी प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत ,पानी ,कोयला पेट्रोल ,गैस आदि समाप्त कर सकते हैं  तथा चुंबकीय ऊर्जा का उपयोग जीवन की गति को गतिमान कर सकेगा l जिसमें चुंबकीय तरंगों पर तैरना संभव होगा l जैसे जर्मनी,  जापान,  चीन में सुपरफास्ट ट्रेनें चुंबकीय तरंगों पर चढ़ते हुए तेज रफ्तार से दूरी तय कर रही हैं l   सारांश है कि वर्तमान विज्ञान प्रौद्योगिकी और संचार साधन 21वीं सदी के अंत तक एक रोमांचक युग को जन्म देगी l जिससे मानव सामाजिक प्राणी ना रहेगा और ना ही पारिवारिक प्राणी और मशीनों और रोबोट के साथ एकात्मक मानव जीवन को जन्म देगा l जिसमें कृत्रिम बुद्धि ,कृत्रिम जीवन ,कृत्रिम व्यवहार और  कृत्रिम मन के अध्ययन के साथ यांत्रिक मनोविज्ञान की विषय वस्तु के अध्ययन और अध्यापन से नई सदी का शुभारंभ होगा l

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *